वेदों का कथन है – एकोहम द्वितीयो नास्ति। अर्थात मैं अकेला हूं और दूसरा कोई नहीं है। कृष्ण भी इसी तर्ज पर अर्जुन से कहते हैं – सर्वधर्मान्य् परितज्य मामेकं शरणं व्रज। अर्थात मेरी शरण में आ जाओ और मेरे अतिरिक्त कोई नहीं है। पातंजलि योग सूत्र में इस कथन पर अपनी मोहर लगाते है।ं जब व्यक्ति योगस्त हो जाता है तो फिर सारे लगावों से दूर स्वयं या परमात्मा में स्थित हो जाता है।
मैंने अपना यह विचार आदरणीय श्री मुरली मनोहर जोशी जी, पूर्व केन्द्रिय मंत्री के समक्ष रखा और कहा कि मैं पिछले कई वर्षों से ज्योतिष में रिसर्च कर रहा हूं कि अगर प्रकृति का नियम है तो फिर यह नियम ग्रहों पर भी लागू होना चाहिए।
उन्होंने कहा – अपने इस सूत्र को थोड़ा स्पष्ट करके बताओ।
बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने कहा कि यूं तो हम ज्योतिष में राजयोगों की बात करते हैं लेकिन रिसर्च के बाद मेरा अनुभव यह बताता है कि कुंडली में मात्र एक ही ग्रह होता है जो या तो आपका पतन करता है या उत्थान। बाकी ग्रह तो उत्प्रेरक होते हैं।
उन्होंने कहा – मेरी कुंडली देखकर इस सूत्र को सिद्ध करो।
बड़ी लंबी व्याख्या के बाद उनके मुंह से निकला – वाह! क्या बात है।
उन्होंने एक और बात बोली जो मेरी खोज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। आकाश समय-समय पर किसी खास पात्र को चुनता है और फिर उससे कोई खास कार्य कराता है। साथ ही उन्होंने कहा – ज्योतिष तो मैं भी जानता हूं, वैज्ञानिक भी हूं और बहुत सारी किताबें पढ़ी हैं लेकिन ऐसा विचार मुझे तो नहीं आया।
अब तो देश-विदेश में लाखों क्या करोड़ो ज्योतिषी होंगे। उन्हें भी यह बात नहीं कोंधी। शायद यह विचार उनके मस्तिष्क में नहीं आया।
जब उन्होंने आगे बताया कि जब कोई विचार सतत् व्यक्ति के ना केवल मस्तिष्क बल्कि उसके अस्तित्व में विचरण करने लगता है यानि एक-एक टिशू में जब यह बात उठने लगती है और हर टिशू विचार करता है तो उसके भीतर एक्टिंग जींस की पुकार को आकाश नकार नहीं सकता और इस विषय पर तुम्हें अवश्य कार्य करना चाहिए।
लगभग 2007 में 92.7 बिग एफएम रेडियो स्टेशन दिल्ली में शुरू हुआ तो एफएम ने मुझे सुबह 7 से 9 बजे तक प्रतिदिन स्टूडियो में बुलाया और मैं श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर और उनकी समस्याओं को हल करता था। सुबह के प्रोग्राम का रेडियो जॉकी एक खूबसूरत, शर्मिला नौजवना था और उसका नाम आयुष्मान खुराना है। मैं उसके टैलेंट से काफी प्रभावित था। वीडियो स्टेशन में कभी गिटार या कोई दूसरा वाद्य यंत्र लेकर आता था और जब गाने बज रहे होते थे तो वो स्टूडियो के बाहर किसी कमरे में बैठकर प्रैक्टिस भी करता था। उसके इस हूनर से मैं काफी प्रभावित था और धीरे-घीरे वो मुझसे खुलने भी लगा था। एक दिन उसने मुझे अपनी कुंडली दी और कहा – कृपया मुझे भी कुछ बताएं? मैंने उससे कहा था कि तुम्हारा भविष्य बहुत उज्ज्वल है और तुम एक दिन बहुत बड़े स्टार बनोगे।
आयुष्मान खुराना का जन्म 14 सितंबर 1984 में चंडीगढ़ में सुबह के समय हुआ था और उस समय कन्या लग्न का उदय हो रहा था। लग्न-कन्या, शुक्र-कन्या, शनि-तुला, मंगल, केतु-वृश्चिक, बृहस्पति-धनु, चंद्रमा-मेष, राहू-वृष, सूर्य, बुध-सिंह।
इनकी कुंडली में ऐसा कौन सा एक ग्रह है जिसने आयुष्मान को जमीन से उठाकर आसमान पर रख दिया। अगर हम ट्रेडिशनल तरीके से कुंडली का विवेचन करें तब तो बहुत सारी बातें कही जा सकती हैं लेकिन यहां हम एक ग्रह के माध्यम से बताएंगे कि अकेला ग्रह ही काफी है। ठीक उसी प्रकार जैसे जंगल में शेर होता है और दुनिया में राजा। सौरमंडल ही दुनिया और ज्योतिष को चलाता है और सौरमंडल का प्रमुख ग्रह सूर्य होता है। बाकी सारे ग्रह जो इस प्लेनेट के बारे में सूर्य की जो योजना है उसमें सहायक होते हैं। वैसे भी प्रत्येक कुंडली एक ग्रह मुख्य होता है और बाकी ग्रह उसकी योजना के अनुरूप कार्य करते हैं।
अब यह पता लगाते हैं कि इस कुंडली में ऐसा कौन सा ग्रह है जिसने इनकी जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन ला दिया।
शनि द्वितीय भाव में उच्च का है और पंचम यानि क्रिएटिविटी का स्वामी है और साथ ही छटे घर यानी असुविधाओं, झंझटों, मुश्किलों आदि का भी द्योतक है। ऐसा ग्रह वो ग्रह नहीं हो सकता जो एक ग्रह की श्रेणी में आता हो।
मंगल और केतु तृतीय भाव में स्थित हैं और मंगल तृतीय भाव का स्वामी होकर पराक्रम तो देता है लेकिन अष्टम भाव का स्वामी होने के कारण वो मुकाम देने की क्षमता नहीं रखता जिस मुकाम पर यह आज कायम है।
बृहस्पति चतुर्थ भाव का स्वामी होकर बहुत मजबूत तो है लेकिन सप्तम का स्वामी भी होने के कारण बाधक भी है इसलिए उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती।
चंद्रमा अष्टम में एजेन्ट होकर तो काम कर सकता है लेकिन अपने आप नहीं।
राहु नवम भाव में स्थित होकर भाग्य में एक समय बहुत अवरोध पैदा करता है इसलिए यह रोल उसका भी नहीं हो सकता।
सूर्य, बुध द्वादश में बैठकर तब तक इतना बड़ा काम नहीं कर सकते जब तक उनके पास कोई अतिरिक्त बल ना हो।
अब बचा शुक्र। शुक्र नीच का है इसलिए आसानी से वो भी कुछ नहीं कर सकता लेकिन इस कुंडली में शुक्र नीच का होकर भी़ लग्न में स्थित होने के कारण काफी सुरक्षित है। शुक्र का संबंध गायन, संगीत, ग्लैमर, अपार धन, सुख-सुविधा और ऐशोआराम से होता है।
आयुष्मान का जन्म एक साधारएा मीडिल क्लास फैमिली में हुआ। इनके पिता बाद में न्यूमरोलॉजिस्ट हो गए और अपने शहर में धीरे-धीरे प्रसिद्ध भी हो गये। आज भी ज्यादातर लोग इन्हें आयुष्मान के पिता के रूप में जानते हैं। लेकिन इनका बेटा हर तरीके से नायाब है और इस बात का उन्हें बहुत फक्र भी है। मैंने भी उन्हें आयुष्मान से मिलने के बाद ही जाना।
इस कुंडली में शुक्र को विशेष स्थान प्राप्त है। हालांकि शुक्र नीच का है लेकिन भाग्य और धन भाव का मालिक है। भाग्य में राहु है जो मंगल से दृष्ट होने के कारण इसी जीवन में प्रबल भाग्य का उदय करता है। शनि धन भाव में उच्च का है यानी शुक्र में जो कमियां थी वो काफी हद तक दूर हो गई। शुक्र नीच का होने के कारण बचपन में तो अरबपति नहीं बनाता लेकिन बाद में अपने हुनर से आदमी नंबर वन होने की क्षमता रखता है।
2004 में इन्होंने रेडिया जॉकी का काम किया तब शुक्र की महादशा समाप्त होने को थी। उसने इन्हें थोड़ी प्रसिद्धि तो दी लेकिन कोई खास मुकाम हासिल नहीं हुआ।
2006 में सूर्य की महादशा आई। सूर्य द्वादश भाव में बुध के साथ बुधादित्य राजयोग बनाकर बैठा है और गुरु उसे देखता भी है। चंद्रमा और सूर्य का नवम-पंचम का कनेक्शन भी है जो बहुत शुभ होता है। 2012 को सूर्य की महादशा समाप्त हुई सब कुछ बात बनी।
चंद्रमा की महादशा 2012 से 2022 तक चल रही है। चंद्रमा अष्टम भाव में बैठकर बहुत अच्छा तो नहीं है लेकिन दो सशक्त ग्रह – शनि और गुरु उसे देखते भी हैं। चंद्रमा 11वें भाव यानी बृहत लाम का स्वामी है। शुक्र और लग्न, चन्द्रमा के नक्षत्र में स्थित हैं। इसका मतलब यह हुआ कि चंद्रमा शुक्र का एजेन्ट हो गया। चंद्रमा ने अपनी दशा में वो फल दिये जो शुक्र को देने थे।
इनकी फिल्में भी शुक्र को रिप्रेजेन्ट करती हैं। जिस फिल्म से इन्हें जाना गया उस फिल्म का नाम था ‘विकी डोनर’। जिसमें ये शुक्राणुओं का दान करते हैं। शुक्राणुओं का सीधा संबंध शुक्र से है। एक ‘बाला’ फिल्म थी जिसमें ये गंजे का रोल करते हैं। शुक्र और ब्यूटी को अलग नहीं किया जा सकता। ऐसी ही एक और फिल्म थी ‘ड्रीम गर्ल’ जिसमें ये लड़की की आवाज में बोलता हुआ हीरो होता है। उसके बाद बधाई हो, शुभ मंगल, बरेली की बर्फी आदि-आदि।
इनका जो एक ग्रह है वह है शुक्र, जिसने इनकी जिंदगी में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया। आने वाली महादशा मंगल की है जो बहुत अच्छी होगी और हमारी शुभकामनाएं और आशीष इनके साथ है।
Give a Reply