अस्सी के दशक के उत्तरार्ध से प्रारम्भ होकर नब्बे के दशक से लेकर नये मिलेनियम तक गोविन्दा से बड़े-बड़े सुपर स्टार अगर भयभीत नहीं थे तो घबराते अवश्य थे। चाहे सुपर स्टार शहरूख खान, सलमान खान या आमिर खान हों। ये सुपर स्टार तो सेलेक्टिड फिल्मस में काम करते थे लेकिन गोविन्दा की ऐसी कोई चॉईस नहीं थी। जो भी रोल उसे मिला वो फिल्म कमाल हो गयी। गोविन्दा की ड्रेस सेंस की पूरे देश के अखबारों, मैग्जीन आदि में भृत्सना होती थी। लेकिन देश का एक बहुत बड़ा ऐसा क्लास भी था जो गोविन्दा की हर अदा पर फिदा था।
गोविन्दा को महाभारत में अभिमन्यु का रोल मिला था लेकिन उससे पहले उसकी धमाकेदार फिल्म ‘इल्जाम’ आ गयी। फिर तो जैसे झड़ी लग गयी – लव 86, हत्या, जीते हैं हम शान से, आंखे, राजा बाबू, कुली नम्बर वन, दूल्हे राजा, हसीना मान जायेगी, साजन चले ससुराल। अपने समय में जिस फिल्म में गोविन्दा होता था उसका सफल होना तय था और बाकी जितने भी कलाकार होते थे उन पर दर्शकों की निगाह कम बल्कि गोविन्दा पर अधिक रहती थी। ऐसा भी कहा जाता था कि जिस फिल्म में गोविन्दा होता है बाकी सारे कलाकारों को खा जाता है।
अमिताभ बच्चन का फिल्मी कैरियर रसातल की ओर था और वो अपनी जिन्दगी के सबसे बुरे वक्त से गुजर रहे थे और उनको डेविड धवन की फिल्म ‘बड़े-मियां छोटे मियां’ में गोविन्दा के साथ रोल मिला था। उनकी पत्नी ने गोविन्दा को समझाया था कि तुम अपने साथ वाले हीरो को खा जाते हो लेकिन अमिताभ बच्चन को बख्स देना। जिन लोगों ने उस समय ये फिल्म देखी थी उन सबका मानना है कि उस फिल्म में गोविन्दा छाये हुए थे।
एक प्रसिद्ध कहावत है जिसे मैं गांव में सुना करता था –
पुरूष बली नहीं होत है, समय होत बलवान।
भिलन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बाण।।
आज गोविन्दा का समय प्रतिकूल है और अगर आप दोबारा ‘बड़े मियां छोटे मियां’ फिल्म देखें तो आपको सिर्फ अमिताभ बच्चन दिखेगा, गोविन्दा नहीं।
गोविन्दा का जन्म 21 दिसम्बर 1963 को रात्रि 9 बजे विरार, महाराष्ट्र में हुआ था और इनके जन्म के समय कर्क लग्न उदय हो रहा था। सूर्य, मंगल, बुध, केतु – धनु, शुक्र, शनि – मकर, चन्द्रमा – कुंभ, बृहस्पति – मीन और राहू – मिथुन में स्थित हैं।
गोविन्दा का लग्न कर्क है और लग्नेश चन्द्रमा अष्टम में है। इस चन्द्रमा पर ना तो कोई दृष्टि है और ना ही कोई बल। जब लग्नेश कुंडली में अस्त-व्यस्त होता है तो व्यक्ति के जीवन की शुरूआत तो अच्छी नहीं होती। यह सर्वविदित है कि गोविन्दा के पिता अपने जमाने की फिल्मों के हीरो थे। लेकिन जब गोविन्दा का जन्म होता है वो समय मुफलिसी का था। इसलिए कोठी छोड़कर इनके परिवार को मुंबई के विरार इलाके में रहना पड़ा जो कि बहुत ही आर्डिनरी तबके को बिलोंग करता है। ऐसी स्थिति में जाहिर है कि बचपन पूरा संघर्ष में गुजरा। इनकी मां बनारस से है और संगीत में पारंगत भी। किसी भी कुंडली में चन्द्रमा जब अस्त-व्यस्त होता है तो आदमी जीवन में कई बार अपनी गलतियों का शिकार होता है। इनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
अब बात करते हैं कि इस कुंडली में ऐसा कौन सा ग्रह है जिसने इनको फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया। लेकिन ये उस मुकाम को स्थिर नहीं रख पाये।
छटे घर में सूर्य, मंगल, बुध और केतु विराजमान हैं और ये सारे ग्रह बड़े मजबूत हैं और जीवन के परम संघर्ष के बाद भी व्यक्ति को हौंसला पस्त नहीं होता। विरार का छोकरा जिंदगी में इतना बड़ा कमाल करेगा ये हमेशा आश्चर्य रहा है। लेकिन जब हम इन ग्रहों की ताकत को देखते हैं तब यह बात समझ में आती है और तब आकाश बोलता है कि संधर्ष करो और मैं अपार फल दूंगा।
सप्तम भाव में शनि और शुक्र की स्थिति बहुत अच्छी है। शनि यहां पर एक शश पंच महापुरूष राजयोग बनाता है लेकिन उसकी स्थिति नवांश में बड़ी कमजोर है। बाकी इसकी बात बाद में करेंगे।
द्वादश भाव में राहू बहुत अच्छा नहीं है और अधिकतर बचपन इसी दशा में गुजरा जो ज्यादा रोचक नहीं है।
बृहस्पति नवम भाव में अपनी ही राशि मीन में स्थित है। इस कुंडली में सारी एनर्जी या ऊर्जा बृहस्पति के पास है। और ऐसा भी कह सकते हैं कि बृहस्पति के पास इस कुंडली की ‘मास्टर की’ है। बृहस्पति की 16 वर्षीय दशा 1979 में प्रारम्भ हुई और 1995 तक चली। लगभग आधा बृहस्पति अच्छा नहीं है और दूसरा जब ये दशा शुरू हुई तब गोविन्दा मात्र 15 साल के थे। बृहस्पति को भी इंतजार था की ये जवान हो ले और जैसे ही ये 22 – 23 साल के हुए बृहस्पति पूरी रवानगी पर था। इनकी पहली फिल्म ‘इल्जाम’ 1986 में आती है और लव 86 भी इसी वर्ष। पहली ही फिल्म ने इन्हें उस समय के प्रसिद्ध हीरो की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। वहां से लेकर अगले 9 – 10 साल तक बृहस्पति ने वो कमाल किया कि गोविन्दा कहीं से कहीं चले गये और पूरी दुनिया इन्हें देखती रह गयी।
बृहस्पति की दशा तो 1995 में समाप्त हो गयी लेकिन बृहस्पति का फोर्स इतना था कि अगले 5 – 6 साल तक वहीं टेंपो बना रहा। जैसे ही शनि में बुध 2000 तक चला तो उसके साथ इनका डाउनफाल भी शुरू हो गया। उसके बाद गोविन्दा को कभी वो स्थान नहीं मिला जो उन्हें पिछले दौर में मिला।
2000 के आसपास इन्हें बहुत सारी बेहतरीन फिल्में ऑफर हुई जैसे – ताल, लगान, देवदास, गदर एक प्रेम कहानी। यहां तक आते-आते मैजिकल ग्रह बृहस्पति का प्रभाव नगन्य हो चला था और चन्द्रमा जो बल हीन है यानि बुद्धि। इनके निर्णय गलत होने लगे। उसके बाद एक और समय आया जब उन्हें इंटरनेशनल फिल्म अवतार ऑफर हुई। उन्होंने इसे भी करने से मना कर दिया। कई इंटरव्यू में इनसे यह प्रश्न किया गया कि आपने अवतार को क्यों मना कर दिया। इनका कथन था कि मैंने विदेशी प्राड्यूसर, डायरेक्टर से कहा था कि ये फिल्म इंटरनेशनल लेवल पर सुपर-डुपर हिट होगी लेकिन मना कर दी।
गुुरू का प्रभाव शून्य था और बुद्धि अपने नियंत्रण में नहीं थी। उसके बाद इधर-उधर कुछ सफलता मिली लेकिन अमिताभ बच्चन की तरह इनकी दूसरी इनिंग कभी शुरू नहीं हुई।
इस कुंडली का मैजिकल ग्रह – बृहस्पति यानि जुपिटर है।
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